फसल बीमा योजना के तहत चालू वित्त वर्ष में हो सकते हैं सर्वाधिक क्लेम
नई दिल्ली. सरकार द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत वित्त वर्ष 2019-20 में अब तक के सबसे ज्यादा क्लेम होने की संभावना है। सूत्रों के मुताबिक, बीमा कंपनियां इस साल बीमा के दावे का अनुपात 120 फीसदी तक जा सकता है। इसके पीछे बेमौसम बारिश और प्राकृतिक आपदाएं प्रमुख वजहें हैं जिनके चलते फसलों को भारी नुकसान हुआ है।
कई बीमा कंपनियों ने नहीं लिया इस स्कीम में भाग
बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के मुताबिक, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस, टाटा एआईजी और चोलामंडलम एमएस जनरल इंश्योरेंस जैसी कम से कम तीन बीमा कंपनियों ने इस स्कीम में भाग नहीं लिया। 2018-19 में बीमा दावेदारियों का डाटा अभी सरकार ने रिलीज नहीं किया है। यह तीन कंपनियां मिलकर प्रीमियम में तकरीबन 3,000 करोड़ रुपए की हिस्सेदारी रखती हैं। 2016-17 और 2017-18 में फसल बीमा योजना के तहत कुल 48,267 करोड़ प्रीमियम एकत्र हुआ था। क्लेम में 30,789 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया और 9 हजार करोड़ रुपए बीमा कंपनियों और रिइंश्योरेंस कंपनियों के पास गए।
रिइंश्योरेंस कंपनियों ने सीमित कर दिया बीमा कंपनियों को देने वाले कमीशन
सूत्रों का कहना है कि पिछले साल बीमा कंपनियों को कई क्षेत्रों में क्लेम की बहुत ऊंची राशि चुकानी पड़ी थी, जिसके चलते इस साल स्कीम में कंपनियों ने हिचकिचाते हुए बोली लगाई। इसके चलते कई रिइंश्योरेंस कंपनियों ने अपने ओवरऑल रेट इस साल कम किए। इससे पहले तक ये रिइंश्योरेंस कंपनियां इंश्योरेंस कंपनियों को 7 से 20 फीसदी तक की रेंज में कमीशन दिया करती थीं। इससे इंश्योरेंस कंपनियां भारी नुकसानों से बच पाती थीं। पिछले साल के बाद से रिइंश्योरेंस कंपनियों ने अपना कमीशन 3 से 3.5 फीसदी तक सीमित कर दिया है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, बहुत बड़ी स्कीम होने के कारण रिइंश्योरेंस सपोर्ट पर काफी निर्भर करती है।
अधिक रिस्क वाले इलाकों में बोली लगाने को तैयार नहीं इंश्योरेंस कंपनियां
इंश्योरेंस कंपनियां अधिक रिस्क वाले इलाकों में बोली लगाने के लिए भी तैयार नहीं हैं। महाराष्ट्र के तकरीबन दस सूखा प्रभावित जिलों में एक भी कंपनी फसलों का इंश्योरेंस करने के लिए आगे नहीं आई। इसके अलावा कई निजी बीमा कंपनियों को राज्य सरकारों की तरफ से पेमेंट में भी देरी की गई। क्लेम सेटलमेंट में राजनीतिक दखल भी बीमा कंपनियों की परेशानियों की एक बड़ी वजह है। फसल की कुल पैदावार का पता लगाने और नुकसान का आकलन करने वाले क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट्स कई राज्यों में आज भी इंसानों के हाथों कराए जा रहे हैं, जिससे आंकड़ों में गलती की संभावना रहती है।
Source: Moneybhaskar.com