12-02-2020

इमर्जेंसी में ब्लैकलिस्टेड अस्पताल भी जा सकते हैं स्वास्थ्य बीमा के ग्राहक

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12-02-2020
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इमर्जेंसी में ब्लैकलिस्टेड अस्पताल भी जा सकते हैं स्वास्थ्य बीमा के ग्राहक

नई दिल्ली. इरडा ने स्वास्थ्य बीमा ग्राहकों की सुविधा के लिए प्री-एक्जिस्टिंग डिजीज और इमर्जेंसी में अस्पताल में भर्ती से जुड़े नियमों में बदलाव किया है। पहले के नियम के मुताबिक स्वास्थ्य बीमा खरीदने के बाद तीन महीने के भीतर यदि कोई बीमारी हो जाती थी, तो क्लेम खारिज हो सकता था। बीमा नियामक इरडा ने कहा कि इससे ग्राहक को अनिश्चतता का सामना करना पड़ता था। क्योंकि ग्राहक या इंश्योरेंस कंपनी कोई भी यह बात दावे से नहीं कह सकते थे कि रोग कब पैदा हुआ। नए नियमों के मुताबिक पहले तीन महीने में नया रोग सामने आने पर कंपनी दावे को खारिज नहीं कर सकती है। पहले के नियमों में उच्च रक्तचाप, मधुमेह, श्वास संबंधी समस्या को प्री-एक्जिस्टिंग मानकर कंपनी दावे को खारिज कर सकती थी।

हर्ट अटैक की स्थिति में ब्लैकलिस्टेड अस्पातल में भर्ती होने पर भी स्वीकार होगा दावा

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक नियामक ने नियमों में दूसरा बदलाव इमर्जेंसी हॉस्पिटलाइजेशन को लेकर किया है। पहले सिर्फ इमर्जेंसी एक्सीडेंट के मामले में ही ब्लैकलिस्टेड अस्पताल के दावे को स्वीकार किया जाता था। नए नियमों के मुताबिक हर्ट अटैक या स्ट्रोक जैसी परिस्थितियों में भी ब्लैकलिस्टेड अस्पताल में भर्ती को बीमा के दायरे में शामिल कर लिया गया है।

बर्थ कंट्रोल का खर्च भी होगा कवर

सोमवार को नियमों में हुए बदलाव के मुताबिक बीमा कंपनियों को बर्थ कंट्रोल के खर्च को भी कवर करना होगा। पहले बर्थ कंट्रोल, स्टेरिलिटी और इनफर्टिलिटी संबंधी इलाजों के खर्च को कवर नहीं किया जाता था। आगे से मॉर्निंग पिल्स, अबोर्शन पिल्स या अबोर्शन संबंधी खर्चों को कवर किया जाएगा।

Source: Moneybhaskar.com