02-07-2020

स्‍वास्‍थ्‍य बीमा होने पर भी कोरोना मरीजों से एक लाख एडवांस मांग रहे निजी अस्पताल, जमकर हो रही धांधली

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02-07-2020
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स्‍वास्‍थ्‍य बीमा होने पर भी कोरोना मरीजों से एक लाख एडवांस मांग रहे निजी अस्पताल, जमकर हो रही धांधली

राज्‍य ब्‍यूरो, नई दिल्‍ली। कोरोना मरीजों के लिए बेहतर व सुविधाजनक इलाज के लिए सरकार ने इस बीमारी स्‍वास्‍थ्‍य बीमा के दायरे में ला दिया है। ताकि मरीजों को निजी अस्‍पताल में इलाज के लिए परेशान न होना पडे। पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर निजी अस्‍पतालों में इलाज का खर्च भी निर्धारित किया गया है। फिर भी परेशानियां मरीजों का पीछा नहीं छोड रही हैं। स्‍थिति यह है कि सामान्‍य मरीजों से तो अस्‍पताल एडवांस रकम जमा कर रही रहे हैं। स्‍वास्‍थ्‍य बीमा धारक कोरोना मरीजों से भी विभिन्‍न अस्‍पताल 50 हजार से एक लाख रुपये एडवांस जमा करा रहे हैं। एडवांस रकम जमा करने पर ही मरीजों को दाखिला मिल पा रहा है। इस वजह से बीमा होने के बावजूद मरीजों को जेल से भी इलाज के लिए भारी भरकम रकम खर्च करना पड रहा है।

हालांकि अस्‍पतालों का दवा है कि बीमा कंपनियों से इलाज का खर्च मिलने पर मरीज द्वारा जमा कराई गई राशि वापस कर दी जाती है। यदि इलाज का कुल खर्च बीमा कंपनी द्वारा स्‍वीकृति राशि से अधिक हो तो मरीज द्वारा जमा कराए गए एडवांस शुल्‍क से वसूल किया जाता है। लेकिन अस्‍पतालों द्वारा स्‍वास्‍थ्‍य बीमा वाले मरीजों से भारी भरकम एडवांस शुल्‍क लिए जाने पर सवाल उठाए जा रहे हैं। वैसे तो अस्‍पताल पहले भी दूसरी बीमारियों से पीडित मरीजों से भी कुछ रकम पहले जमा कराते थे। लेकिन इन दिनों कोरोना मरीजों से अधिक रकम पहले ही जमा करा लिया जा रहा है। ऐसे में स्‍वास्‍थ्‍य बीमा वाले मरीजों को पूरा फायदा नहीं मिल पा रहा है।

दिल्ली के कई अस्पतालों में रूपयों की अलग-अलग मांग

मैक्‍स अस्‍पताल में कोराना के मरीजों का स्‍वास्‍थ्‍य बीमा होने पर 50 हजार रुपये पहले जमा करने के लिए कहा जाता है। गंगाराम अस्‍पताल में एक लाख रुपये जमा करने के लिए कहा जाता है। अपोलो में पूछने पर बताया गया कि यदि स्‍वास्‍थ्‍य बीमा है तो मरीज को भर्ती कराने से पहले 50 हजार रुपये जमा कराना पडेगा। हालांकि अपोलो अस्‍पताल ने इस बात से इंकार किया है।

नाम न छापने के शर्त पर कोरोना पीड़ित एक मरीज ने बताया कि अस्‍पताल ने जवाब दिया कि स्‍वास्‍थ्‍य बीमा में पीपीई किट व दवाओं को कवर नहीं किया जाता। इसलिए स्‍वास्‍थ्‍य बीमा होने के बावजूद पहले पैसा जमा कराने पडेंगे। वहीं अस्‍पताल सूत्रों का कहना है कि लोग बीमा कराते वक्‍त शर्तों को ठीक से नहीं पढते। इस वजह से कई मरीजों के मामले में इलाज का खर्च भगुतान में परेशानी आती है। कारपोरेट स्‍वास्‍थ्‍य बीमा के मामले में ऐसी दिक्‍कत नहीं होती।

मैक्स अस्पताल ने बताया क्यों जमा कराया जाता है एडवांस

मैक्‍स अस्‍पताल के प्रवक्‍ता का कहना है कि व्‍यक्‍तिगत तौर पर कराए गए बीमा में कुछ वजह से कई बार क्‍लेम रद हो जाता है या भुगतान में देरी होती है। इस वजह से सुरक्षा शुल्‍क के रूप में एडवांस जमा कराया जाता है। लेकिन बीमा से भुगतान होने के बाद पैसे वापस कर दिए जाते हैं। गंगाराम अस्‍पताल के प्रवक्‍ता का भी कहना है कि बीमा कंपनी से क्‍लेम की स्‍वीकृति मिलने पर एडवांस रकम के रूप में जमा कराई गई राशि वापस कर दी जाती है।

आइसीआइसीआइ लोमबार्ड के चीफ अंडरराइटिंग रीइंश्योरेंस एंड क्लेम संजय दत्ता ने बताया कि भर्ती के समय यदि मरीजों से पैसा लिया जा रहा है तो यह अस्पताल प्रबंधन की अपनी नीति है। कोरोना के मामले में क्लेम का भुगतान तेजी से किया जा रहा है। सभी प्रकार की दवाएं क्लेम में शामिल की जा रही हैं। पीपीई किट चूंकि मरीज के लिए नहीं है, इसलिए उसपर आने वाले खर्च को क्लेम में शामिल नहीं किया जा रहा है। 

Source: Jagran

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