फसल बीमा की रफ्तार धीमी, लाभ से वंचित अन्नदाता
अंबेडकरनगर : किसानों के फसलों को पानी में डूबने व दैवीय आपदा के नष्ट होने पर फसल का वाजिब मुआवजा मिल सके, इसलिए फसल बीमा का संचालन किया गया है, लेकिन अधिकारियों व कर्मचारियों की लापरवाही से चलते बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के किसानों को लाभ नहीं मिल रहा है। जिले में कुल पंजीकृत तीन लाख 39 हजार 584 के सापेक्ष विभाग ने महज 22 हजार 595 किसानों के फसलों का बीमा किया है। बीमा कंपनी अभी गत वर्ष के नुकसान की क्षतिपूर्ति किसानों का नहीं कर सका है। जिले के टांडा व अकबरपुर क्षेत्र नहर और नदी से प्रभावित होते हैं। फसलें रबी सीजन में भी खराब हो जाती हैं।
-नहर और थिरुआ पुल के निकट खेती पर संकट : टांडा, कटेहरी और बसखारी ब्लॉक के लगभग 150 गांव व किसानों के खेत इसकी चपेट में प्रतिवर्ष बारिश के दौरान आते हैं। इस वर्ष की बारिश भी तराई वालो खेतों के प्रभाव डाल रहा है। इसमें सैकड़ों बीघे में अभी तक पानी भरा होने से वहां पर धान की रोपाई नहीं हो सकी है। इतना ही नहीं गेंहू के सीजन में नहरें टूट जाती और फसले जलमग्न होने से किसानों को काफी नुकसान का सामना कराना पड़ा है। किसान शिवकुमार वर्मा, रामदेव यादव, सुधीर कुमार बोले फसल बीमा की किस्त बैंक से काटता है लेकिन क्षतिपूर्ति देने में विभाग आना-कानी करता है।
फसल बीमा की किस्त अब किसानों की अनुमति के बगैर नहीं काटी जा सकती है। केसीसी धारक किसानों के फसलों का बीमा स्वत: होता है। तीन लाख 39 हजार 584 किसानों के सापेक्ष विभाग ने महज 22 हजार 595 किसानों के फसलों का बीमा किया है। इसे रबी सीजन में बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा।
Source: Jagran