20-11-2020

बिना इंश्योरेंस सड़कों पर दौड़ रहीं रोडवेज की बसें

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20-11-2020
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बिना इंश्योरेंस सड़कों पर दौड़ रहीं रोडवेज की बसें

फिरोजपुर : पंजाब रोडवेज और पनबस के बसें बिना इंश्योरेंस के ही सड़कों पर दौड़ रही हैं। इंश्योरेंस न होने कारण पंजाब रोडवेज की एक बस को सात महीने तक पुलिस कस्टडी में रह चुकी है। विभागीय अधिकारी सरकारी बसों की इंश्योरेंस की कोई खास जरूरत नहीं समझते। बिना इंश्योरेंस के चल रहीं बसों में सफर करना भी खतरे से कम नहीं है, क्योंकि किसी भी तरह का हादसा होने पर घायल या मृत व्यक्ति को कोई मुआवजा नहीं मिलता।

पंजाब रोडवेज के डायरेक्टर भूपिदर सिंह राय के मुताबिक सरकारी बसों की इंश्योरेंस को लेकर कोई सरकारी डायरेक्शन नहीं है। किसी भी नुकसान का रोडवेज अपने फंडों से भरपाई करती है।

पंजाब रोडवेज और पनबस की 1850 बसें है। फिरोजपुर डिपो में ही 133 बसों का काफिला है, जिनमें से 97 अलग-अलग रूटस पर बसें चलती है, जबकि सवारी से टिकट में दो पैसे प्रति किलोमीटर इंश्योरेंस के नाम पर वसूल किया जाता है । यहां से बसें चंडीगढ़ दिल्ली, हरिद्वार, राजस्थान जैसे-तैसे महत्वपूर्ण रूट्स पर चलती है ।

रोडवेज यूनियन के प्रधान रेशम सिंह ने कहा मोटर एक्ट की धारा 146 के मुताबिक सरकारी विभाग अगर मोटर ट्रांसपोर्ट रिजर्व फंड रखता है तो वो इंश्योरेंस से राहत ले सकता है। सरकार ने यह फंड तो रखा लेकिन इसकी भरपाई सवारी से ही की जाती है। यही नहीं इस फंड के बावजूद जब किसी ड्राइवर से दुर्घटना होती है तो ट्रांसपोर्ट विभाग कांटेक्ट कंपनी से भी इसकी भरपाई करता है और ड्राइवर के फंडों से 50 हजार की कटौती हो जाती है।

सात माह तक थाने में खड़ी रही थी बस

जनवरी 2020 में फिरोजपुर डिपो की बस पीबी 05-1742 जगराओं के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। हादसे में कई यात्रियों को चोटें भी पहुंची। बस की इंश्योरेंस ना होने कारण स्थानीय कोर्ट ने जमानत नहीं दी और सात माह तक बस पुलिस कस्टडी में खड़ी रही। इस मामले पर विभाग के अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं। प्रीमियम अधिक होने के कारण नहीं करवाई जाती इंश्योरेंस : डायरेक्टर

पंजाब रोडवेज के डायरेक्टर भूपेंद्र सिंह राय ने कहा कि अधिक प्रीमियम होने कारण गाड़ी का इंश्योरेंस नहीं करवाया जाता । इंश्योरेंस से दो तरह के लाभ है एक बस के नुकसान का मुआवजा और दूसरा किसी दुर्घटना में मारे गए या घायल होने वाले व्यक्ति का मुआवजा। मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल के फंडों से विभाग मुआवजा देता ह,ै जो काफी कम होता हैI

Source: Jagran

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