तिथि दर्ज करने में भूल को आधार बना क्लेम निरस्त नहीं कर सकती बीमा कंपनी
पिथौरागढ़ : बीमा कंपनियां बीमा क्लेम में मानवीय भूल से अंकित तिथियों को आधार बनाकर बीमा क्लेम निरस्त नहीं कर सकती। जिला उपभोक्ता आयोग ने अपने एक फैसले में अपने बीमा क्लेम में भूलवश दो तिथियां अंकित कर देने वाल पशुपालक को बीमा राशि के भुगतान के साथ ही पशुपालक को हुए मानसिक कष्ट और वाद व्यय का भुगतान करने के आदेश बीमा कंपनी को दिए हैं।
बजेटी गांव के पशुपालक कमल राज ने पशुपालन ऋण लेकर दो गाय खरीदी थी। जिनका बीमा उसने इफ्को टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी हल्द्वानी से कराया था। तीन अप्रैल 2017 को बीमित गाय की मृत्यु हो गई। पशु चिकित्सक ने मृत गाय का पोस्टमार्टम किया। पशुपालक ने बीमा क्षतिपूर्ति के लिए इंश्यारेंस कंपनी में क्लेम किया, लेकिन बीमा कंपनी ने क्लेम देने से इंकार कर दिया। जिस पर पशुपालक ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में वाद दायर कर बीमा राशि दिलाए जाने की मांग की।
बीमा कंपनी ने आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए कहा कि पशुपालक ने क्लेम में गाय की मृत्यु की तिथ चार मार्च दर्शाई है जबकि परिवाद पत्र में यह तिथि तीन अप्रैल दर्ज है। कंपनी की ओर से यह भी कहा गया कि बीमा किए जाने के 15 दिन के भीतर बीमित पशु की मृत्यु होने पर बीमा कंपनी का कोई उत्तरदायित्व नहीं बनता।
आयोग ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि बीमा दावे की तिथि और गाय की मृत्यु की तिथि अलग-अलग लिखी गई है। इस मामले में पशु चिकित्साधिकारी ने तिथि में भूल सुधार के लिए बीमा कंपनी को पत्र लिखा था। बीमा कंपनी ने इस पर कोई विचार नहीं किया। आयोग ने माना तिथियों में अंतर मानवीय भूल है और इस मानवीय भूल को न मानकर बीमा कंपनी ने सेवाओं में कमी की है। 15 दिन के भीतर पशु की मृत्यु हो जाने पर बीमा कंपनी का कोई दायित्व नहीं बनने के तर्क को भी आयोग ने नहीं माना। आयोग ने कहा कि बीमा शर्तो में ऐसा कोई प्राविधान नहीं है कि 15 दिन के भीतर पशु की मृत्यु हो जाने पर क्लेम नहीं दिया जाएगा।
आयोग के अध्यक्ष एवं जिला जज डा.जीके शर्मा और सदस्य चंचल सिंह बिष्ट ने बीमा कंपनी को बीमित धनराशि 32000 रुपये पशुपालक को देने के आदेश दिए। बीमा कंपनी को मानसिक कष्ट के लिए पांच हजार और वाद व्यय के लिए पांच हजार रुपये पशुपालक(वादी)को देने होंगे।
Source: Jagran