04-06-2021

इन सरकारी बैंकों और जनरल इंश्योरेंस कंपनी का होगा निजीकरण, नीति आयोग ने सौंपी लिस्ट

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04-06-2021
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इन सरकारी बैंकों और जनरल इंश्योरेंस कंपनी का होगा निजीकरण, नीति आयोग ने सौंपी लिस्ट

नीति आयोग (Niti Aayog) ने विनिवेश संबंधी सचिवों की कोर समिति को उन सरकारी बैंकों के नाम सौंप दिए हैं जिनका विनिवेश प्रक्रिया के तहत मौजूदा वित्तीय वर्ष में निजीकरण किया जाना है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी। नीति आयोग को निजीकरण के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक बीमा कंपनी का नाम चुनने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट में निजीकरण से जुड़ी घोषणा की गई थी।

अधिकारी ने कहा, 'हमने सचिवों की विनिवेश संबंधी कोर समिति को (सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम बैंकों के) नाम सौंप दिए हैं।' उच्च स्तरीय समिति के दूसरे सदस्यों में आर्थिक मामलों के सचिव, राजस्व सचिव, व्यय सचिव, कॉरपोरेट मामलों के सचिव, कानूनी मामलों के सचिव, सार्वजनिक उपक्रम सचिव, निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव और प्रशासनिक विभाग के सचिव शामिल हैं।

आगे की प्रक्रिया

पहले आई रिपोर्ट्स के मुताबिक प्राइवेटाइजेशन की लिस्ट में बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra), इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank), बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India) और सेंट्रल बैंक (Central Bank) के नाम की चर्चा है। प्राइवेटाइजेशन के पहले फेज में सरकार बैंक ऑफ महाराष्ट्र और इंडियन ओवरसीज बैंक के नाम पर मुहर लगा सकती है। निजीकरण की प्रक्रिया शुरू होने में 5-6 माह का वक्त लग सकता है।

कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली सचिवों की कोर समिति (Core Group of Secretaries on Disinvestment) से मंजूरी मिलने के बाद ये नाम मंजूरी के लिए पहले वैकल्पिक तंत्र (एएम) के पास और अंतिम मंजूरी के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल के समक्ष रखे जाएंगे। कैबिनेट की मंजूरी के बाद निजीकरण की प्रक्रिया में मदद करने के लिए नियामकीय पक्ष में बदलाव शुरू किया जाएगा।

1.75 लाख करोड़ रुपये विनिवेश का लक्ष्य

सरकार ने बजट में दो सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी सहित सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों एवं वित्तीय संस्थानों में अपनी हिस्सेदारी बेचकर 1.75 लाख करोड़ रुपये की राशि जुटाने करने का लक्ष्य रखा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल में कहा था, ‘जिन बैंकों का निजीकरण किया जाएगा उनके कम्रचारियों के हितों की पूरी तरह से सुरक्षा की जाएगी। उनके वेतन की बात हो अथवा पेंशन सभी का ध्यान रखा जाएगा।’ निजीकरण के पीछे के तर्क पर उन्होंने कहा कि देश में भारतीय स्टेट बैंक जैसे बड़े बैंकों की आवश्यकता है।

Source: Navbharat times